मेरे दिल के करीब
सब कहते हैं कि मूल से
ब्याज प्यारे होते हैं
पौत्र दादा दादी की
आंखों के तारे होते हैं
नाचते गाते हर वक्त
वो उन्हे उर से लगाते हैं
उन पर वो अपनी
सारी खुशियां वार जाते हैं
कभी सुनाते हैं रात को
किस्से और कहानियां
और कभी ये बातें भी
अनोखी सी बताते हैं
कभी जाते हैं बाहर
साथ घूमने ये हमारे
और कभी घर में ही
चोर पुलिस बन जाते हैं
पूरी करते हैं हर मांग
उनके कहने से पहले ही
वो कुछ इस तरह से
उन पर लाड़ लड़ाते हैं
देखें है मैने लोग यहां
जो किस्मत पर इतराते हैं
कुछ हैं यहां मेरे भी जैसे
जो उन्हें देख भी नही पाते हैं
पूर्व जन्मों के फल है "सुगत"
जो आशीष नही उनका मिला
आखिर मुझे ही क्यों
कभी प्यार उनका नही मिला
ना जाने क्यों मुझे ये
ख्याल नित नित आते हैं
मुझे अक्सर अकेले बैठे..
दादा दादी बहुत याद आते हैं
©Vardan Jindal "सुगत"
सूरज शुक्ला
15-Feb-2021 10:44 AM
अरे वाह कमाल लिखे हो भाई एकदम
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Raju Ladhroiea
15-Feb-2021 08:54 AM
बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना है भाई
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Shaba
14-Feb-2021 11:02 PM
सुंदर और भावात्मक अभिव्यक्ति
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Vardan Jindal "सुगत"
15-Feb-2021 08:32 AM
बहुत धन्यवाद आपका
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