Add To collaction

मेरे दिल के करीब

सब कहते हैं कि मूल से 
                  ब्याज प्यारे होते हैं
पौत्र दादा दादी की 
               आंखों के तारे होते हैं

नाचते गाते हर वक्त 
             वो उन्हे उर से लगाते हैं
उन पर वो अपनी 
          सारी खुशियां वार जाते हैं

कभी सुनाते हैं रात को 
             किस्से और कहानियां 
और कभी ये बातें भी 
               अनोखी सी बताते हैं

कभी जाते हैं बाहर 
                साथ घूमने ये हमारे 
और कभी घर में ही 
           चोर पुलिस बन जाते हैं

पूरी करते हैं हर मांग 
           उनके कहने से पहले ही 
वो कुछ इस तरह से 
            उन पर लाड़ लड़ाते हैं

देखें है मैने लोग यहां 
           जो किस्मत पर इतराते हैं
कुछ हैं यहां मेरे भी जैसे 
       जो उन्हें देख भी नही पाते हैं 

पूर्व जन्मों के फल है "सुगत"
      जो आशीष नही उनका मिला
आखिर मुझे ही क्यों 
       कभी प्यार उनका नही मिला

ना जाने क्यों मुझे ये
             ख्याल नित नित आते हैं 
मुझे अक्सर अकेले बैठे.. 
       दादा दादी बहुत याद आते हैं

©Vardan Jindal "सुगत"

   8
4 Comments

अरे वाह कमाल लिखे हो भाई एकदम

Reply

Raju Ladhroiea

15-Feb-2021 08:54 AM

बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना है भाई

Reply

Shaba

14-Feb-2021 11:02 PM

सुंदर और भावात्मक अभिव्यक्ति

Reply

Vardan Jindal "सुगत"

15-Feb-2021 08:32 AM

बहुत धन्यवाद आपका

Reply